Category / सत्य-सनातन

कुछ लोग प्रश्न करते हैं कि क्या ईश्वर को आँखों से देखा जा सकता है? वे कहते हैं कि यदि यह संभव नहीं है तो ईश्वर के अस्तित्व पर ही विश्वास नहीं किया जा सकता। मानव सीमित है। वे लोग यह नहीं समझते कि दृष्टि, श्रवणशक्ति, सभी सीमित हैं। उनसे एक प्रश्न पूछना चाहिए कि […]

प्रश्नः यदि ईश्वर सर्वव्यापी हैं तो मंदिरों की क्या आवश्यकता है? अम्माः यह सनातन धर्म की विशेषता है कि वह प्रत्येक व्यक्ति के तल तक जाकर उनका उद्धार करता है। व्यक्ति भिन्न-भिन्न संस्कारों के होते हैं, सभी का एक ही स्तर नहीं होता। प्रत्येक व्यक्ति का उनके संस्कार के अनुरूप ही मार्गदर्शन किया जा सकता […]

प्रश्न – क्या आप बता सकती हैं कि विग्रह आराधना का आरंभ कैसे हुआ? अम्मा – सत्ययुग में असुर चक्रवर्ती हिरण्यकशिपु के प्रश्न के उत्तर में जब प्रह्लाद ने उत्तर दिया, “इस स्तंभ में भी ईश्वर विराजमान हैं”,  तो उस स्तंभ से ईश्वर नरसिह रूप में प्रकट हुए। सर्वव्यापी ईश्वर इस प्रकार प्रह्लाद के संकल्प […]

प्रश्न – कुछ लोग इसी मूर्ति-पूजा को लेकर हिन्दू धर्म की आलोचना करते हैं। क्या इसके पीछे कोई ठोस कारण है? अम्मा – अम्मा नहीं जानती की वे किस उद्देश्य से मूर्ति-पूजा की आलोचना करते हैं। मूर्ति-पूजा का संप्रदाय तो किसी न किसी रूप में सभी धर्मों में विद्यमान है। ईसाई धर्म में है, इस्लाम […]

प्रश्न – मूर्तिपूजा के आधारभूत तत्व क्या हैं? अम्मा – वास्तव में हिन्दू मूर्तियों की पूजा नहीं करते। वे उन मूर्तियों के माध्यम से सर्वव्यापी विश्वचैतन्य की ही आराधना करते हैं। जब पुत्र पिता के चित्र को देखता है तो वह अपने पिता का स्मरण करता है न कि चित्रकार का। जब प्रेमिका द्वारा दिये […]