श्री माता अमृतानन्दमयी देवी का अय्यप्पा भक्त समागम को सम्बोधन २० जनवरी,२०१९ ,अय्यप्पा भक्त समागम, पुत्तरीकंडम मैदान, तिरुवनन्तपुरम “अय्यप्पा शास्तावे की जय… शरणम अय्यपा स्वामिये की जय…।” “प्रेम-स्वरुप,आत्मस्वरूप, यहाँ उपस्थित सभी को प्रणाम! जिन आचार्यों ने अम्मा को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया, उन्हें भी प्रणाम। शबरीमला मंदिर से सम्बन्धित हाल ही की घटनाएँ अति दुर्भाग्यपूर्ण रही […]
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प्रश्नः यदि ईश्वर सर्वव्यापी हैं तो मंदिरों की क्या आवश्यकता है? अम्माः यह सनातन धर्म की विशेषता है कि वह प्रत्येक व्यक्ति के तल तक जाकर उनका उद्धार करता है। व्यक्ति भिन्न-भिन्न संस्कारों के होते हैं, सभी का एक ही स्तर नहीं होता। प्रत्येक व्यक्ति का उनके संस्कार के अनुरूप ही मार्गदर्शन किया जा सकता […]
ईश्वराधना का प्रथम सोपान है मंदिर में आराधना। ईश्वर की आराधना करने में व उनसे एक व्यक्तिगत संबन्ध स्थापित करने में मंदिर व वहाँ का देवविग्रह – सारूप ईश्वर, सहायक होते हैं। परन्तु हमें क्रमेण सर्वत्र ईश्वर चैतन्य के दर्शन कर पाने की क्षमता को विकसित करना चाहिए। मंदिर में सही भाव से उपासना के […]

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