अमृत गंगा S2-40

अमृत गँगा, सीज़न २ की चालीसवीं कड़ी अम्मा कह रही हैं कि अहंकार पाइप में पानी को रोकने वाले मलबे जैसा है। यही मनुष्य की समस्याओं का मूल कारण है। ‘मैं’ के भाव से ही ‘मेरा’ और ‘मुझे चाहिए’ के भाव जन्म लेते हैं और मन को बेसुरा बनाते हैं। इस ‘अहम्’ भाव का समर्पण करना ही होगा। गुरु-कृपा के प्रवाह में यह विघ्न है।

इस कड़ी में उत्तरी अमेरिकी यात्रा अब बोस्टन आ पहुंची है। इसी कड़ी में अम्मा का गाया भजन सुनिए, ‘मन तो बन्दी..’