अमृत गंगा S2-40 अमृत गँगा, सीज़न २ की चालीसवीं कड़ी अम्मा कह रही हैं कि अहंकार पाइप में पानी को रोकने वाले मलबे जैसा है। यही मनुष्य की समस्याओं का मूल कारण है। ‘मैं’ के भाव से ही ‘मेरा’ और ‘मुझे चाहिए’ के भाव जन्म लेते हैं और मन को बेसुरा बनाते हैं। इस ‘अहम्’ […]
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अमृत गंगा S2-34 अमृत गँगा सीज़न २ की चौंतीसवीं कड़ी में,अम्मा कह रही हैं कि ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं जो एक को दंड दे और दूसरे को क्षमादान! साथ ही,इसका यह अभिप्राय भी नहीं कि हम मनमाना जीवन जियें!कि मैं जैसे चाहूँ,जिऊंगा!” यही मनोभाव सब मुसीबतों की जड़ है। इस मनोभाव से न तो ‘हमें’ […]
अमृत गंगा 11 अमृत गंगा की ग्यारहवीं कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि अनुभव सच्चा गुरु है। यदि हम अनुभवी लोगों के पदचिन्हों पर चलें तो हम एक ही जीवनकाल में वो पा सकते हैं, जिसे पाने में सामान्यतः सैंकड़ों जन्म लग जाते हैं। प्रगति के लिए अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है […]

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