Category / अमृतगंगा

अमृत गंगा S4-56 सीज़न 4, अमृत गंगा की छप्पनवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “बचपन में सीखे गए आध्यात्मिक मूल्य बीज की तरह जड़ें जमा लेते हैं, इसलिए उन्हें वयस्कता में फलने-फूलने के लिए बचपन में ही बो देना चाहिए।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘रविकुल तिलका।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – […]

अमृत गंगा S4-55 सीज़न 4, अमृत गंगा की पचपन वीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “हम अपने शरीर से आसक्त हैं, परन्तु हमारे भीतर एक आनंदमय आत्मा है, जो अहंकार से छिपी हुई है; केवल अपने अहंकार को तोड़कर ही हम इसे मुक्त कर सकते हैं।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘विनती हमारी।’ प्रस्तुत कड़ी में, […]

अमृत गंगा S4-54 सीज़न 4, अमृत गंगा की चौवन वीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “जब धैर्य अधर्म को बढ़ावा दे, तो वह धैर्य नहीं अधर्म हो जाता है। शांति बनाए रखने के लिए सीमा का उल्लंघन होने पर उचित प्रतिक्रिया देना आवश्यक है, यही महाभारत का संदेश है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘पाहि गजानन।’ […]

अमृत गंगा S4-53 सीज़न 4, अमृत गंगा की तिरपनवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “एक ज्ञानी, अस्तित्व के एकत्व को समझते हुए, प्रवाह के साथ बहकर जीवन की हर परिस्थिति को पूर्णतः स्वीकार कर लेता है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘भवमोचक भयभंजक।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – कोच्ची कार्यक्रम।

अमृत गंगा S4-52 सीज़न 4, अमृत गंगा की बावनवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “पिछले जन्मों के कर्मों के फलस्वरूप हर किसी के जीवन में कठिन समय आता ही है। ऐसे में अपना आत्मविश्वास टूटने न दें, बल्कि अपने आत्मतत्व को और दृढ़ता से पकड़े रहें।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘गोपाल नाचो नाचो।’ प्रस्तुत कड़ी […]