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अमृत गंगा S2-40 अमृत गँगा, सीज़न २ की चालीसवीं कड़ी अम्मा कह रही हैं कि अहंकार पाइप में पानी को रोकने वाले मलबे जैसा है। यही मनुष्य की समस्याओं का मूल कारण है। ‘मैं’ के भाव से ही ‘मेरा’ और ‘मुझे चाहिए’ के भाव जन्म लेते हैं और मन को बेसुरा बनाते हैं। इस ‘अहम्’ […]

अमृत गंगा S2-33 #अमृतगँगा सीज़न २ की तैंतीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि जीवन में कठिनाइयों के आने पर हमें निरुत्साहित नहीं होना चाहिए। हमें अपना आत्मविश्वास और मनोबल नहीं खोना चाहिए। ये हमारी सच्ची सम्पत्ति हैं। इन्हें खोया तो मानो सब खो दिया। इसलिए हमें प्रतिकूल विचारों को स्थान ही नहीं देना […]