अमृत गंगा S2-15
अमृत गँगा सीज़न २, की पंद्रहवीं कड़ी में अम्मा कहती हैं कि अभी हमारा अपने मन पर संयम नहीं है। मन संसार-चक्र में फंसा है और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति हेतु हमें इससे मुक्त होना होगा। हमें बाह्य और भीतरी अनुशासन और प्रार्थना की आवश्यकता है और मन्त्रों व यज्ञों की भी। ये सब आत्म-साक्षात्कार में सहायक हो कर, हमें ईश्वर-प्राप्ति की ओर ले चलते हैं।
इस कड़ी में भी अम्मा की भारत-यात्रा दिल्ली में ही दिखाई देगी और आप अम्मा के भावपूर्ण गाये भजन, ‘राम नाम रस..’ को सुन पाएंगे।