अमृत गंगा S3-35 सीज़न 3, अमृत गँगा की पैंतीसवीं कड़ी में अम्मा कह रही हैं कि सुख हमें अपने भीतर खोजना चाहिए, बाह्य जगत में नहीं। भीतर खोजें तो हम उतना ही लेंगे जितना आवश्यक है, और सुख-संतृप्ति के बाद शेष दूसरों के साथ बांटना सीखेंगे। अम्मा की यात्रा अभी म्यूनिख़ में ही है। नंद […]
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अमृत गंगा S2-15 अमृत गँगा सीज़न २, की पंद्रहवीं कड़ी में अम्मा कहती हैं कि अभी हमारा अपने मन पर संयम नहीं है। मन संसार-चक्र में फंसा है और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति हेतु हमें इससे मुक्त होना होगा। हमें बाह्य और भीतरी अनुशासन और प्रार्थना की आवश्यकता है और मन्त्रों व यज्ञों की भी। ये […]

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