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अमृत गंगा S2-15 अमृत गँगा सीज़न २, की पंद्रहवीं कड़ी में अम्मा कहती हैं कि अभी हमारा अपने मन पर संयम नहीं है। मन संसार-चक्र में फंसा है और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति हेतु हमें इससे मुक्त होना होगा। हमें बाह्य और भीतरी अनुशासन और प्रार्थना की आवश्यकता है और मन्त्रों व यज्ञों की भी। ये […]

अमृत गंगा 18 अमृत गंगा की अठारहवीं कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि जब चीज़ें हमारे मन मुताबिक न हों तो इसे अपने पूर्वकर्मों का फल समझना चाहिए; भाग्य को दोष नहीं देना चाहिए। रोने-धोने की बजाय हमें इसे स्वीकार करके, आगे बढ़ जाना चाहिए। अगर कोई फ़िसल कर गिर जाता है तो […]