अमृत गंगा 28
अमृत गंगा की प्रस्तुत अट्ठाईसवीं कड़ी में, हम अम्मा के शब्दों में ही अम्मा की, एक महान व्यक्ति की परिभाषा को देखें तो वो कुछ इस तरह है कि जो व्यक्ति अपने विचारों, वचनों और कर्मों के माध्यम से दूसरे कितने लोगों के जीवन पर गहरी और सुन्दर छाप छोड़ पाया है। अपने प्रेम और करुणा जैसी सुन्दर भावनाओं से, उसने कितनों के जीवन को खूबसूरत बनाया है! यही गुण हमारा सारतत्त्व हैं। लेकिन हमने अपने सत्स्वरूप को स्वार्थ से ढक रखा है। हम वस्तुओं के दास बन कर रह गए हैं..हमारी प्राथमिकताएं उलट गई हैं।
इस कड़ी में, हम अम्मा की, सिडनी..ऑस्ट्रेलिया की यात्रा और साथ ही अम्मा के गाये भजन, ‘भाव फुलांची..’ का आनन्द लेंगे।