अमृत गंगा S2-26 अमृत गँगा सीज़न २ की छब्बीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि साधकों को अपने सद्गुणों और ऊर्जा को इकठ्ठा करके गहरी पड़ी वासनाओं को निकाल फेंकना चाहिए। क्रोध, घृणा, द्वेष, आलस्य, संशय, लोभ, और मद-मात्सर्य.. ये सब आसुरी वृत्तियाँ हैं। इन राक्षसी वृत्तियों और विषय-भोगों में प्रवृत्त लोग असुर कहलाते हैं। […]
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अमृत गंगा 28 अमृत गंगा की प्रस्तुत अट्ठाईसवीं कड़ी में, हम अम्मा के शब्दों में ही अम्मा की, एक महान व्यक्ति की परिभाषा को देखें तो वो कुछ इस तरह है कि जो व्यक्ति अपने विचारों, वचनों और कर्मों के माध्यम से दूसरे कितने लोगों के जीवन पर गहरी और सुन्दर छाप छोड़ पाया है। […]

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