अमृत गंगा 29

अमृत गंगा की उनतीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि हम उन समस्याओं से चिपके रहते हैं, जिनका अस्तित्व है ही नहीं और फिर शिकायत करते हैं कि हमसे यह बोझ ढोया नहीं जाता। बोझा उठाने से पहले ही हम शिकायत करने लगते हैं कि बड़ा भारी है! चिंता करने की कोई बात न हो, तब भी हम सोचते रहते हैं..कुछ बुरा होने वाला है। पति को घर आने में देरी हो जाये तो पत्नी चिंता करने लगती है। सोचती है, कहीं एक्सीडेंट न हो गया हो, कहीं हार्ट अटैक तो नहीं हो गया या किसी और बड़ी मुसीबत में तो नहीं पड़ गए! यही सोच-सोच कर वो tension में आ जाती है। इस प्रकार, भय हमें कमज़ोर बना कर मानसिक समस्याएं खड़े कर देता है।

इस कड़ी में, हम अम्मा की मेलबॉर्न, ऑस्ट्रेलिया की यात्रा देखेंगे और अंत में, अम्मा गा रही हैं एक मधुर, मनोहर भजन.. शेर पे सवार..