अमृत गंगा 28 अमृत गंगा की प्रस्तुत अट्ठाईसवीं कड़ी में, हम अम्मा के शब्दों में ही अम्मा की, एक महान व्यक्ति की परिभाषा को देखें तो वो कुछ इस तरह है कि जो व्यक्ति अपने विचारों, वचनों और कर्मों के माध्यम से दूसरे कितने लोगों के जीवन पर गहरी और सुन्दर छाप छोड़ पाया है। […]
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अमृत गंगा 14 अमृत गंगा की चौदहवीं कड़ी में, अम्मा हमें अपने प्रत्येक वचन और कर्म के प्रति सचेत रहने की याद दिला रही हैं। शब्दों में अर्थ निहित होते हैं, अतः गलत शब्द चोट पहुँचाते हैं। हमारे जीवन में दुःख आते हैं, पूर्वकृत कर्मों के फलस्वरूप! हम पूर्वजन्मों से संचित कर्म ले कर आते […]

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