मठ विद्यालय एवं सार्वजनिक स्थानों की सफाई का बीड़ा उठायेगा

23 सितंबर, 2010, अमृतपुरी
अम्मा (माता अमृतानन्दमयी देवी) ने कहा कि यदि राज्य सरकारों एवं अन्य संस्थाओं का साथ और सहयोग मिले तो माता अमृतानन्दमयी मठ विद्यालयों एवं सार्वजनिक स्थानों कि सफाई की जिम्मेदारी लेने को तैयार है। अम्मा ने कहा, “ऐसा कहा जाता है कि भारत प्रगतिशील है, उसका विकास हो रहा है। परंतु पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टि से सफाई में, हम बहुत पिछड़े हुए हैं। हमारे यहाँ की सड़कें एवं सार्वजनिक स्नानगृह एवं शौचालय इसका उदाहरण है।”

पश्चिमी देश, सडकों, सार्वजनिक स्थानों के साथ-साथ सार्वजनिक स्नानगृह और शौचालयों में उच्चकोटि की स्वच्छता रखतें हैं। इसके विपरीत भारत में  सड़कों एवं सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता की स्थिति बहुत भयावह है।
सड़क के किनारे एवं सार्वजनिक रास्तों एवं फुटपाथ पर पेशाब करने और थूकने की लोगों की आदत हो गई है। कूडेदान होने के बावजूद भी, वे काई करकट एवं बचे हुए खाने को उसमें डालने के आदी नहीं हैं। वे उसे यूँ ही सड़क किनारे या फिर सड़क के बीचों-बीच फेंक देते हैं। पर्यावरण एवं स्वास्थ्यजनिक स्वच्छता प्रगति एवं सांस्कृतिक शुद्धता का एक भाग है।

इसके लिए हमें बडे पैमाने पर जागरूकता अभियान योजना बनानी होगी। हमें सार्वजनिक स्थानों बस-अड्डों और सड़क किनारों पर पर्यावरण स्वच्छता के बडे-बडे साईनबोर्ड लगाने चाहिए।

अम्मा ने इसपर भी जोर दिया कि इस अभियान की सफलता के लिए दूरदर्शन एवं समाचार पत्रों का सही मायने में साथ एवं सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकारें, विद्यालय संचालन समितियाँ और स्थानीय लोगों का सहयोग हो तो माता अमृतानन्दमयी मठ स्कूलों एवं सार्वजनिक स्थानों पर सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के लिए तैयार है।

पूरी योजनाबद्ध तरीके से और विद्यालयों एवं जनसामान्य के सहयोग से इस परियोजना को मूर्त रूप दिया जायेगा।

सर्वप्रथम केरल में यह योजना शुरू की जायेगी। उसके बाद, क्रमबद्ध रूप से भारत के अन्य राज्यों में भी इसे शुरू किया जायेगा।