अमृत गंगा S2-31

अमृत गँगा सीज़न २ की इक्तीसवीं कड़ी में,अम्मा कहती हैं कि कर्म में शुद्धि को सच्ची प्रार्थना कहा जायेगा,अन्यथा यह सच्ची प्रार्थना नहीं। प्रार्थना का आधार हो,आध्यात्मिक तत्त्व का ज्ञान! प्रार्थना तो हम सभी करते हैं लेकिन उसमें गहरे नहीं जाते या यथेष्ट प्रयत्न नहीं करते। अपनी भूलों को सुधारने का प्रयत्न नहीं करते। हमारी प्रार्थना हो कि हम किसी को विचारों,दृष्टि या कर्म से दुःख न पहुंचाएं! हम चाहते हैं कि हमारी प्रार्थनाएं सुनी जाएँ लेकिन हमें स्वयं अपनी प्रार्थनाओं को सुनना चाहिए।

इस कड़ी में अम्मा की यात्रा जापान की ओर चली है! अम्मा का गाया भजन,’आओ मेरे नन्दलाल’ भी सुनिए इसी कड़ी में!