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अमृत गंगा S2-31 अमृत गँगा सीज़न २ की इक्तीसवीं कड़ी में,अम्मा कहती हैं कि कर्म में शुद्धि को सच्ची प्रार्थना कहा जायेगा,अन्यथा यह सच्ची प्रार्थना नहीं। प्रार्थना का आधार हो,आध्यात्मिक तत्त्व का ज्ञान! प्रार्थना तो हम सभी करते हैं लेकिन उसमें गहरे नहीं जाते या यथेष्ट प्रयत्न नहीं करते। अपनी भूलों को सुधारने का प्रयत्न […]

अमृत गंगा S2-19 अमृत गँगा, सीज़न २ की उन्नीसवीं कड़ी में, अम्मा ने कहा कि समाज में सच्ची प्रगति तभी होती है जब हम दूसरों के साथ बाँटते हैं। हमारे पूर्वज समग्र दूरदृष्टि के स्वामी थे। उनके निर्णय एक व्यक्ति के नहीं बल्कि समाज के हित में होते थे। आज के समाज में हम ऐसा […]

अमृत गंगा 16 अमृत गंगा की सोलहवीं कड़ी.. यहाँ अम्मा अंध-संत सूरदास के विषय में बता रही हैं जिन्हें सत्य का बोध हुआ और जिन्हें भगवान कृष्ण के दर्शन अपने अन्तर्चक्षुओं से होते थे। अम्मा कहती हैं कि सूरदास जैसे भक्त समस्त जगत को ईश्वर-रूप देखते हैं। उनका अनुभव होता है कि कण-कण में परमात्मा […]