मेरे बच्चे क्या एक ऐसे परिवार की कथा सुनना चाहेंगे जो बैकवाटर्स, नहरों तथा धान के खेतों में हॉउसबोट में यात्रा करता था? बैकवाटर्स के समीप एक धान के खेत में पानी भर गया था। पिता, पत्नी, बच्चों तथा अन्य सम्बन्धियों ने सोचा कि वे लोग धान के खेत के छोटे रास्ते से निकल जायेंगे। चालक कितने दशकों से पानी में नाव चलाता आ रहा था। परन्तु धान के खेत में वो गलती कर बैठा। खेत व बैकवाटर्स के बीच का बाँध टूट गया था और इसी जगह से उसे नाव को निकालना था। उसने बाँध के निशान, टूटे हुए पेड़ों के ठूँठ, जोकि बहुत पैने थे परन्तु वहां बने हुए थे, नहीं देखे थे। वे ठूँठ नाव के फ़र्श से टकराए और नाव में पानी भरने लगा। नाव डूबने लगी। स्त्रियाँ, बच्चे रोने-चिल्लाने लगे। नाव का स्वामी चालक पर क्रोधित हुआ। डर तथा क्रोध के कारण वह चालक पर चिल्लाता रहा और अपने परिवार को बचाने के लिए कुछ करना तो भूल ही गया। नाविक भी असहाय था। आखिर कुछ सीधे-सादे ग्रामीण लोग, जो नदी के बाँध की मरम्मत का काम कर रहे थे, अपनी छोटी-छोटी नावें ले कर परिवार को बचाने के लिए आये।


यह परिवार इन बचाने वाले कार्यकर्ताओं के प्रति आभार की भावना से अभिभूत हो गया। इनका सांवला वर्ण था तथा एक कटिवस्त्र ही पहने थे। परिवार के मुखिया ने उन्हें धन्यवाद कहा और उनके नाम पूछे। इसके बाद वो लोग अपने काम पर लौट गए। जब वे लौटने लगे तो परिवार के मुखिया ने उनसे पूछा, “तुम जानते हो मैं कौन हूँ?” उन्होंने उत्तर दिया, “हम नहीं जानते। न ही हमें जानने की आवश्यकता है। क्या फ़र्क पड़ता है? ”

मुखिया चकित रह गया क्योंकि उस ज़माने में वह एक समाचार-पत्र का मालिक व प्रसिद्द सम्पादक था। केरल में कौन उसे नहीं जानता था? उसने सोचा ये लोग उसे पहचान गए हैं। किन्तु वास्तव में, उन्होंने इस परिवार को बिना जाने-पहचाने बचाने का कार्य किया था। आज उस सम्पादक का पुत्र भी प्रसिद्द सम्पादक है। कहते हैं कि बचपन की इस घटना का उस पर गहरा प्रभाव हुआ था।

बच्चो, तुम्हें भी तनिक पीछे मुड़ कर देखना चाहिए – क्या तुम्हारे साथ भी कोई ऐसी घटना घटित हुई है?

समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो अपने पद-प्रतिष्ठा, वंश तथा धन-संपत्ति की शेखी बघारते नहीं थकते। किन्तु इन लोगों को भी प्रायः समाज के तथाकथित ‘नगण्य लोगों ‘ की सहायता की ज़रुरत पड़ जाती है। वस्तुतः, इन ‘नगण्य लोगों’ की सहायता के कारण यह विश्व टिका हुआ है।

सामान्यतः सहायता करने के लिए वे लोग आगे नहीं आते जोकि महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं, जो बढ़िया कपड़े पहनते हैं, जिनके पास बेशुमार दौलत है। इन्हें प्रायः ‘छोटे लोग’ कहा जाता है क्योंकि इनके मन भलाई में दृढ़तापूर्वक स्थित हैं-जो समाज की ‘बड़ी’ सेवा करते हैं। ऐसे ही लोग दूसरों की जान बचाने में सहायता करते हैं।

जिनके निजी विमान होते हैं ताकि जब चाहें हवा में उड़ान भर सकें…। बच्चो, क्या हमने ऐसे लोगों को ज़रा सी तकनीकी खराबी आने पर ज़मीन पर गिरते नहीं देखा? कभी किसी को नगण्य न समझो। सीता को छुड़ा कर लाने के लिए श्रीराम ने जिस समुद्र-सेतु की स्थापना की थी, उसमें एक गिलहरी की सहायता भी शामिल थी। और फिर, हमें कभी भी अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा तथा धन-संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए। मेरे बच्चो, सबके साथ समान आदर तथा प्रेम का व्यवहार करना सीखो।