आश्रम में आये एक व्यक्ति ने अम्मा को बताया कि, “शराब का सेवन न केवल महिलाओं के लिए, अपितु सभी के लिए हानिकारक होता है। स्त्रियों अथवा पुरुषों – किसी को भी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।” अम्मा भी यही कहना चाहती है। शराब सजगता एवं विवेक-शक्ति का नाश कर देती है। लोग शराब के नशे में ऐसी हरकतें कर बैठते हैं जोकि होश-हवास में वे कभी नहीं करेंगे।
एक व्यक्ति ऐसे स्थान पर गया जहाँ तीन कमरे थे। पहले कमरे में उसे शराब तथा अन्य नशीली वस्तुएं मिलीं। दूसरे में एक स्त्री थी और तीसरे में स्वर्ण-मुद्राएँ। उसने सोचा, ‘मैं सारी स्वर्ण-मुद्राएँ ले लूँ या दूसरे कमरे में जा कर स्त्री-गमन करूं या तीसरे कमरे में जा कर नशा करूँ।’ फिर सोचा, ‘स्वर्ण-मुद्राएँ लेता हूँ तो यह चोरी होगी। यह ठीक नहीं। स्त्री के पास जाता हूँ तो उसकी अवमानना करता हूँ, वो भी गलत बात है। मेरा विचार है कि मैं थोड़ा नशा कर लूँ तो किसी का कुछ नहीं बिगड़ेगा। यह चोरी या बलात्कार जैसा बुरा कर्म तो नहीं है।’ फिर वो शराब पीने लगा और पीता गया और शीघ्र ही होश खो बैठा। फिर उसने स्वर्ण-मुद्राएँ भी चुरा लीन और स्त्री के साथ बलात्कार भी किया। परिणामस्वरूप, उसने सारा जीवन जेल की कोठरी में बिताया। इस कथा से यह स्पष्ट हो जाता है कि शराब तथा ड्रग्स के सेवन से क्या होता है – हम विवेक-शक्ति खो बैठते हैं और बंधन में पड़ जाते हैं।
शराब के नशे में व्यक्ति मस्त तो हो जाता है परन्तु यह मस्ती समाज में हिंसा को बढ़ाती है। हत्या, लूटपाट तथा मारपीट – ये सब शराब-सेवन के परिणाम हैं। कुछ लोगों का कहना है कि शराब का सेवन उन्हें और स्नेही बना देता है। ऐसा होता तो इतने पति शराब पी कर अपनी पत्नी तथा बच्चों की पिटाई क्यों करते? एक बात जान लो कि शराब के सेवन का कोई परिणाम अच्छा नहीं होता। इससे स्नेह नहीं, केवल क्रोध ही पैदा होता है। सब आदर्श नष्ट हो जाते हैं। हमें समाज में – अनिवार्यतः स्त्री और पुरुष दोनों के लिए – शराब के सेवन के विनाशकारी पहलुओं को उजागर करना चाहिए। क्योंकि एक माँ, बच्चे की प्रथम गुरु होती है, अतः स्त्रियों का मदिरापान करना तो अधिक विनाशकारी सिद्ध होगा।
अम्मा ने सुना है कि विदेश में किसी ने एक पुस्तक लिखी है जिसमें विभिन्न ड्रग्स के लाभों का वर्णन किया गया है। इसे पढ़ कर बहुत से लोग ड्रग्स के शिकार हो गए हैं। ऐसी पुस्तक का लिखा जाना ही गलत था। हमें अपने साथी भाई-बंधुओं को अच्छी राह पर चलने को प्रोत्साहित करना चाहिए। नशे में किया गया प्यार सच्चा प्यार नहीं होता – आप किसी भी मनोवैज्ञानिक से पूछ लें – वो यही कहेगा।
हम सबको शराब तथा अन्य नशीले पदार्थों के सेवन जैसी सामाजिक बुराईयों के प्रति लोगों को जागरूक बनाने में अपनी भूमिका अवश्य निभानी चाहिए। हमारा युवा-वर्ग ड्रग्स तथा शराब-मुक्त रहे!