अर्जुन एवं कृष्ण गाढ़ मित्रों की भाँति साथ-साथ खेलते-कूदते बड़े हुए। उस समय भगवान् गीतोपदेश नहीं देते थे। परन्तु कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में जब अर्जुन पूर्णतः उद्विग्न हो गया और उसके भीतर का शिष्य जाग उठा, तब अर्जुन ने अपने सारथी-सखा कृष्ण को गुरु रूप में स्वीकार किया। अर्जुन के भीतर शिष्यत्व के […]
Category / उपदेश
मेरे बच्चो, अपने अन्दर प्रेम का दीप जला कर आगे बढ़ चलो। हम हर क़दम सुविचार और मुस्कुराते चेहरे के साथ उठाएँगे तो साधुता स्वयं आ कर हमारे अस्तित्व को भर देगी। फिर भला परमात्मा हमसे दूर रह ही कहाँ पाएँगे! वो आ कर हमें अपने अंक में भर लेंगे। हमारे जीवन का कोई क्षण […]
बच्चो, नवरात्रि एक अवसर है सकल जगत-कारिणी, पराशक्ति की पूजा-उपासना करने का! इन नौ दिनों की पूर्णाहूति होती है विजयदशमी के दिन। ये नौ दिन व्रत-उपवास आदि साधना-उपासना के लिए होते हैं। आलस्य, काम-क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या-द्वेष, अधीरता व अविश्वास – ये सब दुर्गुण साधना के मार्ग में बाधाएं हैं। तप के माध्यम से इन पर […]
बच्चो, ऐसा नहीं लगता कि विश्व में आज जहाँ देखो, वहीं समस्याएं हैं? भारत के नगरों में बम्ब फटने का, आतंकवादी हमलों का भय है। अम्मा को ज्ञात है कि हम सब इनके तथा अन्य खतरों के विषय में चिंतित हैं। विश्व-भर की समस्याओं का एकमात्र उत्तर है – करुणा। सब धर्मों का मूलभूत सिद्धान्त […]
कल्पना करो कि हम जन-समूह में हैं और एक पत्थर आ कर लगता है और हमें चोट लग जाती है। ऐसे में होना यह चाहिए कि हम मारने वाले को पकड़ने की बजाय पहले अपने घाव पर ध्यान दें, उसकी मरहम-पट्टी करें। किन्तु यदि हम मारने वाले के पीछे दौड़ेंगे तो अपने घाव को धूल […]

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