अमृत गंगा S2-26 अमृत गँगा सीज़न २ की छब्बीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि साधकों को अपने सद्गुणों और ऊर्जा को इकठ्ठा करके गहरी पड़ी वासनाओं को निकाल फेंकना चाहिए। क्रोध, घृणा, द्वेष, आलस्य, संशय, लोभ, और मद-मात्सर्य.. ये सब आसुरी वृत्तियाँ हैं। इन राक्षसी वृत्तियों और विषय-भोगों में प्रवृत्त लोग असुर कहलाते हैं। […]
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अमृत गंगा 9 अमृत गंगा की नवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि ईश्वर कहीं दूर, बादलों के पार.. स्वर्ण-सिंहासन पर नहीं बैठा। ईश्वर हम सबके भीतर विद्यमान है। जब हम दूसरों की सहायता करते हैं तो हमारे भीतर विद्यमान परमात्मा जागृत हो उठता है। जैसे वृक्ष को बीज के बाहरी खोल को तोड़ […]
मेरे बच्चे क्या एक ऐसे परिवार की कथा सुनना चाहेंगे जो बैकवाटर्स, नहरों तथा धान के खेतों में हॉउसबोट में यात्रा करता था? बैकवाटर्स के समीप एक धान के खेत में पानी भर गया था। पिता, पत्नी, बच्चों तथा अन्य सम्बन्धियों ने सोचा कि वे लोग धान के खेत के छोटे रास्ते से निकल जायेंगे। […]

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