अमृत गंगा 10

अमृत गंगा की दसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि अपने में परिवर्तन लाने के लिए, हमें राह नहीं देखनी कि पहले दूसरे बदलें। बल्कि, पहले हम बदलें और दूसरों के लिए प्रेरणा-स्रोत बनें। हमारा प्रत्येक सत्कर्म, प्रत्येक सुविचार कई गुणा फल देगा। जब हमारे हृदय में अरुणोदय होगा तो उसका प्रकाश सबको स्पष्ट दिखाई देगा।

इस कड़ी में अम्मा की मिलान(इटली) की यात्रा व कन्नड़ भाषा में उनका गाया हुआ भावपूर्ण भजन, जय जय रामा .. प्रस्तुत है।