अमृत गंगा S2-29
अमृत गँगा सीज़न २ की उनतीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि ज्ञान की पूर्णता अनुभव में है। तब ज्ञान बोध बन जाता है और बोध उस टॉर्च जैसा है जो हमारी अँधेरे में देखने में मदद करता है। हम देखते हैं, आज शरीर है, कल नहीं। इससे हमें शरीर के नश्वर स्वभाव को समझ लेना चाहिए। आत्मा ही एक अविनाशी तत्त्व है। यह ज्ञान अध्यात्म ही देता है।
इस कड़ी में, अम्मा की यूरोप यात्रा स्पेन के वेलेंशिया समाप्त हो रही है। इसी कड़ी में सुनिया, अम्मा का गाया भजन..कुछ ना ले आया तू..