अमृत गंगा S2-45

अमृत गँगा की पैंतालीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि परमात्मा शुभ-मंगल की निधि हैं। जहाँ-जहाँ परमात्म-विचार होगा, वहां-वहां समृद्धि और गुण होंगे ही। प्रत्येक व्यक्ति में प्रबल विवेक और ईश्वरार्पण-बुद्धि नहीं होती। जहाँ कुछ चर-अचर प्राणी ज्ञान की घोर निद्रा में डूबे रहते हैं, वहीं ईश्वर-स्मरण में मस्त व्यक्ति के लिए प्रतिदिन शिवरात्रि है।

इस कड़ी में, अम्मा की यात्रा का ‘सिंगापुर’ भाग देखिये। इस कड़ी में अम्मा जो भजन गा रही हैं, वो है.. कैसा संदेशा…