ईश्वराधना का प्रथम सोपान है मंदिर में आराधना। ईश्वर की आराधना करने में व उनसे एक व्यक्तिगत संबन्ध स्थापित करने में मंदिर व वहाँ का देवविग्रह – सारूप ईश्वर, सहायक होते हैं। परन्तु हमें क्रमेण सर्वत्र ईश्वर चैतन्य के दर्शन कर पाने की क्षमता को विकसित करना चाहिए। मंदिर में सही भाव से उपासना के […]
अध्यतन वार्ता
- निःस्वार्थ कर्म तमोगुण को घटाते हैं
- जीवन के अनिश्चिता का आनंद लेने का प्रयास करें
- समानता का आधार मानसिक शक्ति हो
- नवरात्रि: आत्मशक्ति के जागरण का पर्व
- आध्यात्मिक शिक्षा बचपन से ही देनी चाहिए
- आत्म-स्तिथ रहकर जगत को देखे
- कर्म का नियम, धर्म का पालन है
- जगत में कुछ भी तुच्छ नहीं
- जीवन का हर पल अमूल्य है
- गुरु उपदेश शिष्यानुरूप होते हैं
When Love is there, distance dosen't matter.
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