अमृत गंगा S4-37

सीज़न 4, अमृत गंगा की सैंतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “हम जीवन में दूसरों से सीखते हैं। सद्गुरु के अनुकरण से आध्यात्मिक यात्रा सरल हो जाती है, जैसे अनुकूल जलवायु में कृषि।” अम्मा देवी भजन गाती हैं, ‘जय मंगल जननी देवी’। प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – मंगलुरु कार्यक्रम।

अमृत गंगा S4-36

सीज़न 4, अमृत गंगा की छतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “मन हमेशा गलत राह दिखाता है, लेकिन वैराग्य और साधना से ही उन्नति संभव है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘वेंकटरमणा संकटहरणा’। प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा चल पड़ी है मंगलुरु की ओर।

अमृत गंगा S4-35

सीज़न 4, अमृत गंगा की पैंतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “पूर्ण विकास तो आध्यात्मिकता द्वारा ही सम्भव है. गहनता से समझें तो।” अम्मा देवी भजन गाती हैं, ‘दीपक न जानू’। प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा चल पड़ी है मंगलुरु की ओर।

अमृत गंगा S4-34

सीज़न 4, अमृत गंगा की चौतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “असफलताओं से न घबराएँ, उत्साह से आगे बढ़ें। भौतिक हो या आध्यात्मिक क्षेत्र, सफलता आत्मानुशासन से ही संभव है।” अम्मा देवी भजन गाती हैं, ‘आई उदे उदे ग अंबाबाई’ (मराठी)। प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – मुंबई कार्यक्रम।

अमृत गंगा S4-33

सीज़न 4, अमृत गंगा की तैतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “व्रत और अनुष्ठान भगवान के लिए नहीं, बल्कि हमारी आत्म-शुद्धि और ईश-कृपा के लिए हैं, क्योंकि हमें भगवान की आवश्यकता है, उन्हें हमारी नहीं।” अम्मा कृष्ण भजन गाती हैं, ‘श्याम गोलोक में।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – मुंबई कार्यक्रम।