अमृत गंगा S4-07

सीज़न 4, अमृत गंगा की सातवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “मन हमेशा दुखी होने का कारण ढूंढ़ता है, लेकिन दुख में डूबे रहने से घाव नहीं भरते। हमें कठिनाइयों से सीखकर, उनमें भी खुशी ढूंढ़नी चाहिए; यही आध्यात्मिकता का मार्ग है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘पीर जगी है’। प्रस्तुत कड़ी से हम अम्मा के संग भारत यात्रा पर मदुरै की ओर।

अमृत गंगा S4-06

सीज़न 4, अमृत गंगा की छठी कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “श्रीकृष्ण जैसे महात्मा की न केवल वाणी बल्कि हर दृष्टी, हर भाव भंगिमा हमारे भीतर पड़ी सुप्त चेतना को जागृत करती है। उनका सान्निध्य मात्र एक आध्यात्मिक अनुभव है।” अम्मा श्री राम के भजन गाती हैं, ‘मांगू मैं तुझ से माँ’। प्रस्तुत कड़ी से हम अम्मा के संग भारत यात्रा पर तिरुवनंतपुरम में।

अमृत गंगा S4-05

सीज़न 4, अमृत गंगा की पांचवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “जागरूकता एक टॉर्च की रोशनी की तरह है, जो हमें अंधेरे में स्पष्ट रूप से देखने में मदद करती है, जिससे हम रस्सी और साँप के बीच अंतर कर पाते हैं।” अम्मा श्री राम के भजन गाती हैं, ‘रविकुल तिलका’। प्रस्तुत कड़ी से हम अम्मा के संग भारत यात्रा पर तिरुवनंतपुरम में।

अमृत गंगा S4-04

सीज़न 4, अमृत गंगा की चौथी कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “हमें अहंकार पर काबू पाना होगा। ऐसा कर लेते हैं, तो हम सच्चे आत्म के आकाश में उड़ सकते हैं और आनंद पा सकते हैं।” अम्मा भजन गाती हैं – ‘हर पल हर क्षण’. प्रस्तुत कड़ी से हम अम्मा के संग अम्मा की भारत की यात्रा पर निकलेंगे।

अमृत गंगा S4-03

सीज़न 4, अमृत गंगा की तीसरी कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “आजीवन हमारे साथ कुछ नहीं रहता, न संपत्ति, न रिश्तेदार, न दोस्त। आध्यात्मिक समझ हमें जीवन के मूल सिद्धांतों को समझने में मदद करती है।” अम्मा भजन गाती हैं – ‘जय जय जननी’. सेवा अनुभाग में हम अमृता निकेतन पर अंतिम एपिसोड प्रस्तुत कर रहे हैं – करुणा के माध्यम से जीवन परिवर्तन के एपिसोड।