अमृत गंगा S4-34

सीज़न 4, अमृत गंगा की चौतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “असफलताओं से न घबराएँ, उत्साह से आगे बढ़ें। भौतिक हो या आध्यात्मिक क्षेत्र, सफलता आत्मानुशासन से ही संभव है।” अम्मा देवी भजन गाती हैं, ‘आई उदे उदे ग अंबाबाई’ (मराठी)। प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – मुंबई कार्यक्रम।

अमृत गंगा S4-33

सीज़न 4, अमृत गंगा की तैतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “व्रत और अनुष्ठान भगवान के लिए नहीं, बल्कि हमारी आत्म-शुद्धि और ईश-कृपा के लिए हैं, क्योंकि हमें भगवान की आवश्यकता है, उन्हें हमारी नहीं।” अम्मा कृष्ण भजन गाती हैं, ‘श्याम गोलोक में।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – मुंबई कार्यक्रम।

अमृत गंगा S4-32

सीज़न 4, अमृत गंगा की बत्तीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “त्याग ही अमृतत्व का मार्ग है, जो सब कुछ छोड़कर सब कुछ पाने की शक्ति देता है और आत्मावान बनाता है।” अम्मा गणेश भजन गाती हैं, ‘हरसुत अखिल।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा चल पड़ी है मुंबई की ओर।

अमृत गंगा S4-31

सीज़न 4, अमृत गंगा की इकतीसवीं कड़ी में, अम्मा बताती हैं, “की कैसे प्रेम हमारे आत्मतत्व को जागृत कर, हमारे अंदर हर तरह के सौंदर्य व सुगंध को जन्माता है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘भक्ति दे माँ।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – पुणे कार्यक्रम।

अमृत गंगा S4-30

सीज़न 4, अमृत गंगा की तीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “बोधपूर्ण कर्म से कर्मफल प्रभावित नहीं होता, यही आनंद का रहस्य शिवरात्रि हमें याद दिलाती है!” अम्मा भजन गाती हैं, ‘शम्भो शंकर।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – पुणे कार्यक्रम।