अमृत गंगा S4-31 सीज़न 4, अमृत गंगा की इकतीसवीं कड़ी में, अम्मा बताती हैं, “की कैसे प्रेम हमारे आत्मतत्व को जागृत कर, हमारे अंदर हर तरह के सौंदर्य व सुगंध को जन्माता है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘भक्ति दे माँ।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – पुणे कार्यक्रम।
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अमृत गंगा S2-17 अमृत गँगा सीज़न २ की सत्रहवीं कड़ी में अम्मा कह रही हैं कि हमारा मन ध्वनि-प्रदूषण में फंसा हुआ है और हमें इसे संयमित करने का प्रयत्न करना चाहिए। ऋषि-मुनियों ने निरंतर प्रयत्न द्वारा इसकी प्राप्ति की। उसी प्रकार हमें भी ध्यान आदि जैसी आदतें विकसित करनी चाहियें। जब मन भटके तो […]
अमृत गंगा 16 अमृत गंगा की सोलहवीं कड़ी.. यहाँ अम्मा अंध-संत सूरदास के विषय में बता रही हैं जिन्हें सत्य का बोध हुआ और जिन्हें भगवान कृष्ण के दर्शन अपने अन्तर्चक्षुओं से होते थे। अम्मा कहती हैं कि सूरदास जैसे भक्त समस्त जगत को ईश्वर-रूप देखते हैं। उनका अनुभव होता है कि कण-कण में परमात्मा […]

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