तत्त्व को समझकर हमें ईश्वर भजन करना चाहिए। भिन्न देवी-देवताओं के पृथक अस्तित्व में विश्वास न रखते हुए हमें सभी भिन्न देवरूपों को उस परम सत्ता के भिन्न रूप या पक्ष मानना चाहिए। प्रेमपूर्वक ईश्वर भजन करना चाहिए। वे हमारे मन की सभी इच्छाओं को जानते हैं। तब भी उनके सम्मुख अपने हृदय की भावनाओं […]
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कईयों के लिए ईश्वर आराधना पार्ट-टाईम कार्य होता है, अंशकालिक कार्य होता है। हमें अंशकालिक भक्ति की नहीं वरन् पूर्णकालिक भक्ति की आवश्यकता है। किसी इच्छा की पूर्ति के लिए की जाने वाली प्रार्थना पार्ट टाईम भक्ति है। ‘भक्ति के लिए भक्ति’ की आवश्यकता है। केवल ईश्वर प्रेम की ही इच्छा रखनी चाहिए और उसी […]
प्रश्न – क्या आप बता सकती हैं कि विग्रह आराधना का आरंभ कैसे हुआ? अम्मा – सत्ययुग में असुर चक्रवर्ती हिरण्यकशिपु के प्रश्न के उत्तर में जब प्रह्लाद ने उत्तर दिया, “इस स्तंभ में भी ईश्वर विराजमान हैं”, तो उस स्तंभ से ईश्वर नरसिह रूप में प्रकट हुए। सर्वव्यापी ईश्वर इस प्रकार प्रह्लाद के संकल्प […]
प्रश्नः हिन्दू धर्म में तैंतीस कोटि देवताओं की आराधना होती है? यथार्थतः क्या ईश्वर एक हैं या अनेक? अम्माः हिन्दू धर्म में अनेक ईश्वर नहीं हैं। हिन्दू धर्म में केवल एक ही ईश्वर में विश्वास किया जाता है, यही नहीं, हिन्दू धर्म उद्घोषित करता है कि समस्त प्रपंच में ईश्वर से भिन्न कुछ नहीं है […]
प्रश्नः मानव को ईश्वर में विश्वास करने की आवश्यकता ही क्या है, उसका प्रयोजन क्या है? अम्माः ईश्वर में विश्वास के अभाव में भी जीवन जिया जा सकता है, परन्तु यदि हम जीवन की विकट परिस्थितियों में भी बिना डगमगाये, दृढ कदमों से आगे बढना चाहते हैं तो ईश्वर का आश्रय लेना ही होगा। उनके […]

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