अमृत गंगा S3-01 अमृत गँगा सीज़न 3 में आपका स्वागत है! इसकी पहली कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि अक्सर सत्ता लोगों के सर पर चढ़ कर बोलती है। वे मानो पगला से जाते हैं। लेकिन जब श्रीराम ने राज्य का भार भरत के कन्धों पर डाला तो भरत का मन ज़रा भी दूषित नहीं […]
अध्यतन वार्ता
- परिवर्तनशील जगत का धैर्य से सामना करें
- शिष्यत्व अर्थात् समर्पण
- नित्य बंधु आत्मा ही है
- फ़ोन उपयोगी है पर दास न बने
- इस जगत में कुछ भी तुच्छ नहीं।
- प्रयत्न से एकाग्रता आएगी ही
- हर दिन में नयापन और सुंदरता देखो
- दान में अपेक्षा ना हो
- व्रत-अनुष्ठान : भगवान के लिए या हमारे लिए?
- त्याग में खोते नही, पाते ही है
When Love is there, distance dosen't matter.
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