अमृत गंगा S3-59 सीज़न ३, अमृत गँगा की उनसठवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, आवश्यकता-पूर्ति के लिए प्रकृति सब देती है; पर wastage के लिए नहीं; तदनुसार कर्म करें; सामाजिक बोध जागृत करें। अम्मा की यात्रा लॉस एंजेलिस की ओर बढ़ी। अम्मा ने भजन गाया है, ‘भवानी भाग्यविधात्री ’।
अध्यतन वार्ता
- मुस्कुराना-आदत बनाओ
- नयापन निःस्वार्थ प्रेम एवं कर्म से जुड़ा है
- आध्यात्म से मृत्यु को स्वीकारना सहज बनता है
- परिवर्तनशील जगत में नयापन अल्पकालिक है
- जैसी करनी वैसी भरनी
- कल के लिए कोई काम न टाले
- आध्यात्मिक अनुशासित दिनचर्या आवश्यक है
- साधना में मनोभाव का प्राधान्य है
- दूसरों के काम आए, वही सच्ची संपत्ति और ऐश्वर्य है
- छोटे-छोटे कर्मों में भी सतर्कता भरते
When Love is there, distance dosen't matter.
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