Category / अमृतगंगा

अमृत गंगा 2 अमृत गंगा की दूसरी कड़ी में, अम्मा जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आवश्यक पुरुषार्थ, समर्पण-भाव और कृपा पर सत्संग दे रही हैं। अम्मा कहती हैं कि खुश रहना एक निर्णय है और हमें ईश्वर की इच्छा के सामने समर्पण-भाव सहित और आत्मविश्वासपूर्वक आगे बढ़ना चाहिए। प्रेम उनका धर्म है और उस […]

अमृत गंगा १ अमृत गंगा की पहली कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि ज़िन्दगी हमारी सोच के अनुसार नहीं चलती लेकिन अगर प्रेम और विवेक से काम लें तो क्रोध और घृणा जैसी भावनाओं से ऊपर उठ सकते हैं। अतः हमें अपने वचनों और कर्मों में सावधानी बरतनी चाहिए। अम्मा ने अपना जीवन […]