Category / अमृतगंगा

अमृत गंगा 7 अमृत गंगा की सातवीं कड़ी में अम्मा हमें याद दिला रही हैं कई हमारे हाथ में कुछ है तो केवल वर्तमान क्षण। बीता हुआ कल ‘आज’ नहीं बन सकता और आने वाला कल भी आज नहीं हो सकता। अगली सांस तक हमारे हाथ में नहीं है। फल देने की शक्ति केवल ईश्वर […]

अमृत गंगा 6 अमृत गंगा की छठी कड़ी में, अम्मा हमें हमारे भीतर छुपी अच्छाई को कर्म में ढालने को कह रही हैं। अम्मा कहती हैं कि अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने से हमें आन्तरिक शक्ति, वैराग्य और आगे बढ़ने हेतु आवश्यक प्रयास करने की प्रेरणा मिलती है। इस प्रकार, हम दूसरों के लिए […]

अमृत गंगा 5 अमृत गंगा की पाँचवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि अपने लक्ष्य पर एकाग्रता, हमें आत्मबल और वैराग्य प्रदान करती है। हम विफल हो जाएँ तब भी हमें निरुत्साहित नहीं होना चाहिए। कितने ही लोग विफ़लता के बाद महान व्यक्ति बने। हमें आत्मविश्वास के साथ प्रयत्न करते रहना होगा और असफ़लताओं […]

अमृत गंगा 4 अमृत गंगा की चौथी कड़ी में, अम्मा ने कहा है कि दुनियाँ की लगभग हर समस्या का एक-शब्द में समाधान कहना हो तो वो है ‘करुणा’। माँ बच्चे के स्तर पर उतर कर, उसे ऊपर उठाती है। उसी प्रकार, हमें यह जानना होगा कि हम दूसरों से भिन्न नहीं हैं और उनके […]

अमृत गंगा 3 अमृत गंगा की तीसरी कड़ी में, जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आवश्यक अम्मा पुरुषार्थ, समर्पण-भाव और कृपा पर सत्संग दे रही हैं। अम्मा कहती हैं कि खुश रहना एक निर्णय है और हमें ईश्वर की इच्छा के सामने समर्पण-भाव सहित और आत्मविश्वासपूर्वक आगे बढ़ना चाहिए। प्रेम उनका धर्म है और उस […]