Category / अमृतगंगा

अमृत गंगा S4-15 सीज़न 4, अमृत गंगा की पंद्रहवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “जैसे हम पैसे से पोषक आहार या ज़हर खरीदने का चुनाव करते हैं, वैसे ही हम तय करते हैं कि किन विचारों को पोषित करना है और किन्हें त्याग देना है।” अम्मा देवी भजन गाती हैं, ‘तुम हो माते’। अम्मा की […]

अमृत गंगा S4-14 सीज़न 4, अमृत गंगा की चौदहवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “अम्मा मानती हैं कि इस अनुष्ठान का प्रतीक ज्ञान के प्रकाश को महसूस करना और संसार के लिए लाभकारी बनना है।” अम्मा देवी भजन गाती हैं, ‘जागो माँ काली’। अम्मा की भारत यात्रा में – तिरुप्पुर कार्यक्रम।

अमृत गंगा S4-13 सीज़न 4, अमृत गंगा की तरहवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “शिक्षा हमारी असीम संभावनाओं को जाग्रत करती है, जिससे स्व और संसार दोनों को लाभ होता है। सच्ची भक्ति ईश्वर के प्रति हमारे आंतरिक सकारात्मक परिवर्तन के माध्यम से प्रकट होती है।” अम्मा शिव भजन गाती हैं, ‘शिबजि भोला’। प्रस्तुत कड़ी […]

अमृत गंगा S4-12 सीज़न 4, अमृत गंगा की बारहवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “यदि हम हर चीज़ को उसके उचित स्थान पर देखना सीख लें, तो हमें निराशा का अनुभव नहीं होगा। इससे हमें स्वीकृति का दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलेगी।” अम्मा श्री कृष्ण भजन गाती हैं, ‘राधिकेश यदुनाथ’। प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा […]

अमृत गंगा S4-11 सीज़न 4, अमृत गंगा की ग्यारहवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “हमारा मन गंदे पानी की तरह है। जब इसे छाना जाता है, तो यह शुद्ध हो जाता है। यह शुद्ध प्रेम ही वह छन्नी है, जो अहंकार के कीटाणुओं को नष्ट कर देती है।” अम्मा गणेश भजन गाती हैं, ‘वंदना करुँ […]