अमृत गंगा S4-39 सीज़न 4, अमृत गंगा की उनतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “कुत्ता हड्डी चबाते हुए सोचता है कि खून आ रहा है, पर वह बेहोश होने के बाद ही समझता है कि खून कहाँ से निकला था। वस्तु में आनंद नहीं है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘नाम एक रूप बहुतेर।’ प्रस्तुत कड़ी […]
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अमृत गंगा S4-38 सीज़न 4, अमृत गंगा की अड़तीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “मन जितना वस्तुओं से बंधता है, उतनी ही शक्ति घटती है। आसक्ति बढ़ने पर वस्तु हमारी मालिक बन जाती है।” अम्मा कृष्ण भजन गाती हैं, ‘दिल को बना दो मधुबन।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – मंगलुरु कार्यक्रम।
अमृत गंगा S4-37 सीज़न 4, अमृत गंगा की सैंतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “हम जीवन में दूसरों से सीखते हैं। सद्गुरु के अनुकरण से आध्यात्मिक यात्रा सरल हो जाती है, जैसे अनुकूल जलवायु में कृषि।” अम्मा देवी भजन गाती हैं, ‘जय मंगल जननी देवी’। प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – मंगलुरु […]
अमृत गंगा S4-36 सीज़न 4, अमृत गंगा की छतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “मन हमेशा गलत राह दिखाता है, लेकिन वैराग्य और साधना से ही उन्नति संभव है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘वेंकटरमणा संकटहरणा’। प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा चल पड़ी है मंगलुरु की ओर।
अमृत गंगा S4-35 सीज़न 4, अमृत गंगा की पैंतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “पूर्ण विकास तो आध्यात्मिकता द्वारा ही सम्भव है. गहनता से समझें तो।” अम्मा देवी भजन गाती हैं, ‘दीपक न जानू’। प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा चल पड़ी है मंगलुरु की ओर।