अमृत गंगा S3-12
अमृत गँगासीज़न ३ की १२वीं कड़ी में, अम्मा अपने बचपन के अनुभवों को याद कर रही हैं। उन दिनों धर्म, सत्य, त्याग और करुणा जैसे मूल्य बचपन से ही सिखाये जाते थे। अम्मा की माँ ने उन्हें हज़ारों धान के दाने पैदा कर सकने वाले एक दाने और साथ ही उसे पैदा करने वाले लोगों का त्याग भी दिखाया। जिसने खुद कभी बोझा उठाया हो, वही बोझ उठाने के कष्ट को समझ सकता है। अम्मा अपने अनुभव के आधार पर और दूसरों के दुःख को देख कर ऐसा कह सकती है। ऐसे ही दिल दूसरों की पीड़ा को समझ सकते हैं।
इस कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा मुंबई पहुंची है। दर दर मैं… अम्मा यह भजन गाएंगी!

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