अमृत गंगा 12
अमृत गंगा की बारहवीं कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि प्रेम प्रत्येक वस्तु को नया, तरोताज़ा और अनोखा बना देता है। अम्मा प्रेम की वैश्विक भाषा बोलती हैं। वो कहती हैं कि दूसरों के प्रति प्रेम और करुणा का प्रकाश हमारे जीवन को ताज़गी, शक्ति और उत्साह से भर देता है। घंटों दर्शन देने के बाद भी अम्मा के चेहरे पर मधुर मुस्कान बिखरी रहती है.. थकान का नामोनिशां तक नहीं होता। ‘प्रेम एवं करुणा से उत्पन्न करुणा-भाव’ का, अम्मा जीता-जागता उदाहरण हैं, जैसा कि संत कवि कबीर भी कहते थे! ..वो इस उक्ति को जीवंत करती हैं, “जहाँ प्रेम है वहां थकान नहीं होती!”
इस कड़ी में प्रस्तुत है, अम्मा की डब्लिन, आयरलैंड की यात्रा और उनका प्रगाढ़ भक्तिभाव सहित गाया हुआ गणेश-भजन, करींद्र वदना रवीन्दु नयना…

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