अमृत गंगा 2

अमृत गंगा की दूसरी कड़ी में, अम्मा जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आवश्यक पुरुषार्थ, समर्पण-भाव और कृपा पर सत्संग दे रही हैं। अम्मा कहती हैं कि खुश रहना एक निर्णय है और हमें ईश्वर की इच्छा के सामने समर्पण-भाव सहित और आत्मविश्वासपूर्वक आगे बढ़ना चाहिए। प्रेम उनका धर्म है और उस प्रेम-सहित सबको गले लगाती हुईं, अम्मा विश्व भर के जनमानस को प्रेरित करती आ रही हैं।

इस कड़ी में प्रस्तुत है अम्मा की म्यूनिख़, जर्मनी की यात्रा और उनका भावपूर्ण गाया हुआ कृष्ण-भजन..मुरली मनोहर माधवा..