अमृत गंगा S2-13 अमृत गँगा, सीज़न २ की तेरहवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि देश और काल कर्म के सिद्धान्त में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। कर्मफल हमारा पीछा करेंगे ही। अधर्मी लोग भाग कर कहीं भी चले जाएँ, शान्ति नहीं मिलेगी! हम जो बोयेंगे, वही काटना पड़ेगा। इसीलिये अम्मा हमेशा हमें कुछ बोलने […]
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अमृत गंगा 27 अमृत गंगा की सत्ताईसवीं कड़ी में, अम्मा फिर से तनाव और चिंता की बात कर रही हैं। अम्मा कह रही हैं कि चिंता एक चोर जैसी है जो हमारा समय और विश्वास..दोनों चुरा लेती है। चिंता का कोई कारण न भी हो तो हम सोचते हैं कि कुछ बुरा हो जायेगा। पीछे […]
अमृत गंगा 18 अमृत गंगा की अठारहवीं कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि जब चीज़ें हमारे मन मुताबिक न हों तो इसे अपने पूर्वकर्मों का फल समझना चाहिए; भाग्य को दोष नहीं देना चाहिए। रोने-धोने की बजाय हमें इसे स्वीकार करके, आगे बढ़ जाना चाहिए। अगर कोई फ़िसल कर गिर जाता है तो […]

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