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अमृत गंगा 16 अमृत गंगा की सोलहवीं कड़ी.. यहाँ अम्मा अंध-संत सूरदास के विषय में बता रही हैं जिन्हें सत्य का बोध हुआ और जिन्हें भगवान कृष्ण के दर्शन अपने अन्तर्चक्षुओं से होते थे। अम्मा कहती हैं कि सूरदास जैसे भक्त समस्त जगत को ईश्वर-रूप देखते हैं। उनका अनुभव होता है कि कण-कण में परमात्मा […]

अम्मा के विदेशी भक्त, युद्ध के कभी न समाप्त होने वाले भीषण आक्रमणों पर, प्रायः अपनी कुण्ठा व्यक्त करते हैं। वे अम्मा से पूछते हैं, “क्या इस पागलपन का कोई अन्त नहीं है?” जगत् के आदि से ले कर संघर्ष चला आ रहा है। यह कहना कि इसे पूर्णतया समाप्त कर देना असंभव है, व्यग्रता […]