अमृत गंगा S4-59 सीज़न 4, अमृत गंगा की उनसठवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “संकल्प लें – प्रेम न भी कर सकूँ, तो घृणा नहीं करूँगा — सबको जैसे हैं वैसे ही स्वीकार करूँगा।” अम्मा श्री कृष्ण भजन गाती हैं, ‘वन्दे नन्दकुमारम।’ अम्मा की अमेरिका यात्रा में – सीएटल कार्यक्रम
अध्यतन वार्ता
- जीवन के अनिश्चिता का आनंद लेने का प्रयास करें
- समानता का आधार मानसिक शक्ति हो
- नवरात्रि: आत्मशक्ति के जागरण का पर्व
- आध्यात्मिक शिक्षा बचपन से ही देनी चाहिए
- आत्म-स्तिथ रहकर जगत को देखे
- कर्म का नियम, धर्म का पालन है
- जगत में कुछ भी तुच्छ नहीं
- जीवन का हर पल अमूल्य है
- गुरु उपदेश शिष्यानुरूप होते हैं
- श्रम से योग्यता उभरती है
When Love is there, distance dosen't matter.
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