Tag / पारिवारिक जीवन

सभी जीवों में एक भाव सामान्य है, वो है प्रेम। इस मार्ग द्वारा स्त्री-पुरुष परस्पर तथा दोनों प्रकृति को और प्रकृति विश्व को प्राप्त कर सकते हैं। और जो प्रेम सब सीमाओं को तोड़ कर बाहर बह निकलता है वो है – विश्व-मातृत्व । इस धरा पर यदि कोई उत्तम पुष्प खिल सकता है तो […]

पत्नी का ऐसा ही सम्बन्ध पति के साथ होना चाहिए। जब पति दफ्तर से घर लौटे तो उसका मुस्कुरा कर स्वागत करे। उस समय जो कुछ कर रही हो उसे छोड कर, चेहरे पर मुस्कान लिए लपक कर दरवाजे पर जाना चाहिए। फिर प्रेम सहित उसके लिए कुछ पेय ले आये व उसके साथ बैठ […]

हमारे बच्चों को कैसी सभ्यता सीखने को मिल रही है? चारों ओर सिनेमा या टी.वी. का साम्राज्य है, जिनमे अधिकतर प्रेम-संबंधों अथवा लडाई-झगडे की प्रधानता रहती है। तीन-चौथाई पत्रिकाएं भी ऐसे मसाले से भरपूर हैं। ऐसे में कंस ही तो पैदा होंगे, आने वाले समय में हरिश्चंद्र जैसे लोग मिलने कठिन होंगे। अब भी, युवा […]

आज समय बदल गया है। संध्या-समय लोग टी.वी. के सामने बैठ कर सिनेमा या हमारी सभ्यता को प्रदूषित करने वाले कार्यक्रम देखते रहते हैं। सामान्यतः, लोग एक ही दिशा में विचार करते हैं कि अधिक से अधिक धन-उपार्जन कैसे किया जाये-फिर चाहे उसके लिए घूस या अन्य अधार्मिक, दुराचारी कर्मों का सहारा क्यों न लेना […]

वर्तमान समय में धर्म का पतन तथा गृहस्थाश्रम का धर्म पुराने समय में “भौतिक” तथा “आध्यात्मिक”-दो भिन्न विभाग नहीं थे। परमात्मा की प्राप्ति प्रत्येक का लक्ष्य था। गृहस्थ जीवन व आध्यात्मिक जीवन की प्रगति साथ-साथ होती थी। जन्म के तुरंत पश्चात, माता-पिता बच्चों के कानों में प्रभु के नाम का उच्चारण करते थे, इस प्रकार […]