अमृत गंगा S4-07 सीज़न 4, अमृत गंगा की सातवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “मन हमेशा दुखी होने का कारण ढूंढ़ता है, लेकिन दुख में डूबे रहने से घाव नहीं भरते। हमें कठिनाइयों से सीखकर, उनमें भी खुशी ढूंढ़नी चाहिए; यही आध्यात्मिकता का मार्ग है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘पीर जगी है’। प्रस्तुत कड़ी से […]
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अमृत गंगा S2-06 अमृत गँगा सीज़न २ की छठी कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि कहीं चोट लगने पर, संभवतः हम दर्द से रो पड़ें। लेकिन रोने-चिल्लाने से घाव तो भरने वाला नहीं; दवा लगानी होगी। कई लोग बिलकुल प्रयत्न नहीं करते। उपयुक्त कर्म नहीं करते। किन्तु, हम समस्याओं का समाधान प्रयत्न द्वारा ही कर […]

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