अमृत गंगा S3-47 सीज़न ३, अमृत गँगा की सैंतालीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, धर्म ही दूसरों को उन्नति की ओर बढ़ाता है; ताल-लय रखता है और सर्वाधार बना रहता है। अम्मा की यात्रा लंदन, की ओर बढ़ी। अम्मा ने भजन गाया है, ‘पन्नगभूषण’।
अध्यतन वार्ता
- नित्य बंधु आत्मा ही है
- फ़ोन उपयोगी है पर दास न बने
- इस जगत में कुछ भी तुच्छ नहीं।
- प्रयत्न से एकाग्रता आएगी ही
- हर दिन में नयापन और सुंदरता देखो
- दान में अपेक्षा ना हो
- व्रत-अनुष्ठान : भगवान के लिए या हमारे लिए?
- त्याग में खोते नही, पाते ही है
- बोध हमारे कर्म में सतर्कता लाता है
- कुरूपता मे भी सौंदर्य दिख सकता है
When Love is there, distance dosen't matter.
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