Tag / स्त्री-पुरुष

बच्चो, हम सदा से सुनते आ रहे हैं कि स्त्री निर्बल है। इसका क्या महत्व है? दूसरी जो बात हम प्राचीन काल से सुनते आ रहे हैं वो यह – क्योंकि स्त्री निर्बल है, अतः उसे सदा एक रक्षक की ज़रुरत होती है। सदियों से समाज ने रक्षक की यह भूमिका पुरुष को सौंपी है। […]

सभी जीवों में एक भाव सामान्य है, वो है प्रेम। इस मार्ग द्वारा स्त्री-पुरुष परस्पर तथा दोनों प्रकृति को और प्रकृति विश्व को प्राप्त कर सकते हैं। और जो प्रेम सब सीमाओं को तोड़ कर बाहर बह निकलता है वो है – विश्व-मातृत्व । इस धरा पर यदि कोई उत्तम पुष्प खिल सकता है तो […]