अमृत गंगा S4-27 सीज़न 4, अमृत गंगा की सत्ताईसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “घृणा और ईर्ष्या जैसे दोषों को हटाकर प्रेम, विश्वास और सहयोग को दिल में बसाएं, तब जीवन निरंतर बहती नदी जैसा होगा।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘प्रेम से गाओ।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा चल पड़ी है पुणे की ओर।

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