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अमृत गंगा S2-32 अमृत गँगा सीज़न २ की बत्तीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि प्रतिक्षण अनमोल है। प्रतिपल हम मृत्यु की ओर अग्रसर हैं! जो यह जानता है, वो सावधान रहेगा। हृदय और मन को युगपत कर्म करना चाहिए। मन में और अधिक विशालता और सूक्ष्मता आये! अध्यात्म-चिंतन व साधना महत्त्वपूर्ण हैं। ईश्वर हमसे […]

हृदय और बुद्धि दो अलग चीज़ें नहीं है। जब तुममे विवेक बुद्धि होगी, तब स्वाभाविक तौर पर तुम अधिक उदार और विशाल हृदय होगे। उस विशालता से निश्छलता, सहयोगिता, विनम्रता और सहभागिता अपने आप पैदा होगी।