अमृत गंगा S3-49 सीज़न 3, अमृत गंगा की उनचासवीं कड़ी में, कह रही हैं कि सब कुछ मन पर निर्भर करता है। यदि हम मन की प्रकृति को समझें, हम जीवन में संतुलित दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ सकते हैं। अम्मा की यात्रा लंदन, इंग्लैंड में जारी है। अम्मा ने भजन गाया है, सुन ले […]
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अमृत गंगा S2-03 अमृत गंगा के सीज़न २ की तीसरी कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि हृदय में प्रेम हो तो सर्वत्र सौन्दर्य ही सौन्दर्य दिखाई देता है। प्रेम के अभाव में, विश्व-सुन्दरी भी हमें कुरूप मालूम हो सकती है। कारण है अपना मन! जो हमें भाता हो, हो सकता है, दूसरे को बिल्कुल […]
अमृत गंगा 22 अमृत गंगा की बाईसवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि सृष्टि की रचना पहले भीतर होती है, फिर बाहर! इसे स्पष्ट करने के लिए, वो उस पेंटर का उदाहरण दे रही हैं जो बाहर पेंटिंग में अभिव्यक्त करने से पहले, उसके विषय में भीतर सोचता है…उस कुम्हार का जो मिट्टी हाथ […]
कल्पना करो कि हम जन-समूह में हैं और एक पत्थर आ कर लगता है और हमें चोट लग जाती है। ऐसे में होना यह चाहिए कि हम मारने वाले को पकड़ने की बजाय पहले अपने घाव पर ध्यान दें, उसकी मरहम-पट्टी करें। किन्तु यदि हम मारने वाले के पीछे दौड़ेंगे तो अपने घाव को धूल […]

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