अमृत गंगा S4-49 सीज़न 4, अमृत गंगा की उनतालीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “यदि वानर-मन ही मार्गदर्शक रहा, तो सांसारिक भोग हमें बहकाएँगे और हम गहरे संकट में पड़ जाएँगे।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘माय भवानी (मराठी)।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – कोषीकोड कार्यक्रम।
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अमृत गंगा S2-26 अमृत गँगा सीज़न २ की छब्बीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि साधकों को अपने सद्गुणों और ऊर्जा को इकठ्ठा करके गहरी पड़ी वासनाओं को निकाल फेंकना चाहिए। क्रोध, घृणा, द्वेष, आलस्य, संशय, लोभ, और मद-मात्सर्य.. ये सब आसुरी वृत्तियाँ हैं। इन राक्षसी वृत्तियों और विषय-भोगों में प्रवृत्त लोग असुर कहलाते हैं। […]
प्रश्न – मंदिरों में भोग चढ़ाने की जरूरत क्या है? अम्मा – भगवान को हमसे किसी चीज की जरूरत नहीं है। समस्त सृष्टि के नाथ – उस त्रिलोकीनाथ को किस चीज की कमी है? सूरज को मोमबत्ती की क्या आवश्यकता है? वास्तविक चढ़ावा तो सही जीवन तत्त्व को जान समझकर, उसके अनुसार जीवन यापन करना […]

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