अमृत गंगा S3-04 अमृत गँगा, सीज़न ३ की ५वीं कड़ी में, अम्मा उस राजा की कहानी सुना रही हैं जिसका मंत्री और कवि, दोनों अधार्मिक और धोखेबाज़ थे, फिर भी उसके मन को श्रीराम से अपनी तुलना भाती थी। जब ऐसे लोगों की संगति हो तो उसका राज्य रामराज्य-तुल्य कैसे कहा जा सकता था? आदर्श […]
अध्यतन वार्ता
- शिवरात्रि – सजकता का तत्व!
- व्रत – मन को नियंत्रण में रखने का साधन
- भक्ति और साधना से मन की शुद्ध करें
- व्रत, तप और जप से मन को संयमित कर सकते हैं
- अतीत से शिक्षा लेकर आगे बढ़े
- महान प्राप्ति के लिए उत्साह आवश्यक है
- विपत्ति – जीवन में सावधानी एवं सतर्कता लाती है
- साहसी, संकट को सफलता की सीड़ी बनाते है
- प्रयत्न और परिश्रम का स्थान कोई वस्तु नहीं ले सकता
- सकारात्मक चिंता एवं भाव सफलता के लिए अनिवार्य है
When Love is there, distance dosen't matter.
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