अमृत गंगा S4-53 सीज़न 4, अमृत गंगा की तिरपनवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “एक ज्ञानी, अस्तित्व के एकत्व को समझते हुए, प्रवाह के साथ बहकर जीवन की हर परिस्थिति को पूर्णतः स्वीकार कर लेता है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘भवमोचक भयभंजक।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – कोच्ची कार्यक्रम।