Tag / निस्स्वार्थ सेवा

अमृत गंगा १ अमृत गंगा की पहली कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि ज़िन्दगी हमारी सोच के अनुसार नहीं चलती लेकिन अगर प्रेम और विवेक से काम लें तो क्रोध और घृणा जैसी भावनाओं से ऊपर उठ सकते हैं। अतः हमें अपने वचनों और कर्मों में सावधानी बरतनी चाहिए। अम्मा ने अपना जीवन […]

एक बार एक व्यक्ति ने एक धनाढ्य इलाके में एक आलीशान भवन किराये पर लिया। धीरे-धीरे उसे भ्रम हो गया कि वो राजा है और बहुत अहंकारी हो गया। एक दिन एक साधु उसके घर पर भिक्षा मांगने आया तो उसने बड़ा निन्दनीय व्यवहार किया। साधु ने कहा, “तुमने यह घर किराये पर ही तो […]